[1]献呈の言葉 (Luke 1:1-4) |
| A(1:1) | | 物語を書き連ねようと(1:1) (διήγησιν) |
| | B(1:2) | | | 御言葉のために働いた(1:2) (τοῦ λόγου) |
| A'(1:3) | | 順序正しく書いて(1:3) (γράψαι) |
| | B'(1:4) | | | お受けになった教えが(1:4) (λόγων) |
|
A: 書き残すこと B: 言葉 |
|
[2]洗礼者ヨハネの誕生、予告される (Luke 1:5-25) |
| A(1:5-7) | | エリサベトは不妊 (Ἐλισάβετ) |
| | B(1:8-10) | | | 待つ民衆 (τοῦ λαοῦ) |
| | | C(1:11-17) | | | | 天使の言葉 (ἄγγελος κυρίου) |
| | | | D(1:18) | | | | | ザカリアの言葉 |
| | | C'(1:19-20) | | | | 天使の言葉 (ὁ ἄγγελος) |
| | B'(1:21-23) | | | 待つ民衆 (ὁ λαὸς) |
| A'(1:24-25) | | エリサベトの妊娠 (Ἐλισάβετ) |
|
A: エリザベトの不妊と妊娠 B: 待つ民衆 C: 天使の言葉 D: 中心はザカリアの言葉 |
|
[3]イエスの誕生が予告される (Luke 1:26-38) |
| A(1:26-28) | | 天使ガブリエルは遣わされた(1:26) (ἀπεστάλη) |
| | B(1:29) | | | マリアはこの言葉に戸惑い(1:29) (τῷ λόγῳ) |
| | | C(1:30-33) | | | | 天使の言葉 (εἶπεν ὁ ἄγγελος) |
| | | | D'(1:34) | | | | | マリアの言葉 |
| | | C'(1:35-37) | | | | 天使の言葉 (ὁ ἄγγελος εἶπεν) |
| | B'(1:38a) | | | お言葉どおり、この身に成りますように。(1:38) (τὸ ῥῆμά σου) |
| A'(1:38b) | | 天使は去って行った(1:38) (ἀπῆλθεν) |
|
A: 天使の出現と退出 B: 言葉 C: 天使の言葉 D: マリアの疑問 |
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[4]マリア、エリザベトを訪ねる (Luke 1:39-45) |
| A(1:39-41) | | 挨拶をエリサベトが聞いたとき、その胎内の子がおどった(1:41) (ἐσκίρτησεν τὸ βρέφος) |
| | B(1:42-43) | | | あなたは女の中で祝福された方です(1:42) (εὐλογημένη) |
| A'(1:44) | | 挨拶のお声をわたしが耳にしたとき、胎内の子は喜んでおどりました(1:44) (ἐσκίρτησεν ἐν ἀγαλλιάσει τὸ βρέφος) |
| | B'(1:45) | | | なんと幸いでしょう(1:45) (μακαρία) |
|
A: 胎内の子が喜び踊ること B: 幸いな女性 |
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[5]マリアの賛歌 (Luke 1:46-56) |
| A(1:46) | | マリア (Μαριάμ) |
| | B(1:47) | | | 救い主である神を喜びたたえます(1:47) (τῷ σωτῆρίμου) |
| | | C(1:48) | | | | 身分の低い、この主のはしため(1:48) (τὴν ταπείωσιν) |
| | | | D(1:49-50) | | | | | その憐れみは代々に限りなく、主を畏れる者に及びます(1:50) |
| | | C'(1:51-53) | | | | 身分の低い者を高く上げ(1:52) (ταπεινούς) |
| | B'(1:54-55) | | | その僕イスラエルを受け入れて(1:54) (ἀντελάβετο Ἰσραὴλ) |
| A'(1:56) | | マリア (Μαριάμ) |
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A: マリア B: 救う・憐れむ C: 身分の低い者 D: 中心は限りない憐れみ |
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[6]洗礼者ヨハネの誕生 (Luke 1:57-66) |
| A(1:57-58) | | 近所の人々や親類は喜び合った(1:58) (οἱ περίοικοι) |
| | B(1:59) | | | 割礼 (περιτεμεῖν) |
| | | C(1:60) | | | | 名はヨハネとしなければなりません(1:60) (Ἰωάννης) |
| | | | D(1:61-62) | | | | | この子に何と名を付けたいか(1:62) |
| | | C'(1:63) | | | | この子の名はヨハネ(1:63) (Ἰωάννης) |
| | B'(1:64) | | | ザカリアは口が開き、舌がほどけ(1:64) (ἀν εῴχθη δὲ τὸ στόμα) |
| A'(1:65-66) | | 近所の人々は皆恐れを感じた(1:65) (τοὺς περιοικοῦντας) |
|
A: 近所の人々の反応 B: 開かれる物 C: ヨハネと言う名 D: 子の名づけ |
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[7]ザカリアの預言 (Luke 1:67-80) |
| A(1:67) | | 聖霊に満たされ(1:67) (πνεύματος) |
| | B(1:68-69) | | | 主はその民を訪れて解放し(1:68) (λύτρωσιν) |
| | | C(1:70) | | | | 聖なる預言者たち(1:70) (προφητῶν) |
| | | | D(1:71) | | | | | 憎む者の手からの救い(1:71) (ἐχθρῶν) |
| | | | | E(1:72) | | | | | | 先祖を憐れみ、その聖なる契約を覚えて(1:72) (τῶν πατέρων ἡμῶν) |
| | | | | E'(1:73) | | | | | | 我らの父アブラハムに立てられた誓い(1:73) (τὸν πατέρα ἡμῶν) |
| | | | D'(1:74-75) | | | | | 敵の手から救われ(1:74) (ἐχθρῶν) |
| | | C'(1:76-77) | | | | いと高き方の預言者(1:76) (προφήτης) |
| | B'(1:78-79) | | | 暗闇と死の陰に座している者たちを照らし(1:79) (ἐπιφᾶναι) |
| A'(1:80) | | 幼子は身も心も健やかに育ち(1:80) (πνεύματι) |
|
A: 霊 B: 苦しむ者の救い C: 預言者 D: 敵からの救い E: 先祖との契約 |
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[8]イエスの誕生 (Luke 2:1-21) |
(関連ペリコーペ: Matthew@2) |
| A(2:1-3) | | 住民登録 (ἀπογράφεσθαι) |
| | B(2:4-7) | | | 飼い葉桶に寝かせた(2:7) (φάτνῃ) |
| | | C(2:8) | | | | 羊飼いたちが野宿 (ποιμένες) |
| | | | D(2:9) | | | | | 主の天使が近づき(2:9) (ἄγγελος κυρίου) |
| | | | | E(2:10) | | | | | | 民全体に与えられる大きな喜びを告げる(2:10) (εὐαγγελίζομαι) |
| | | | | | F(2:11) | | | | | | | 救い主がお生まれになった(2:11) |
| | | | | E'(2:12) | | | | | | これがあなたがたへのしるしである(2:12) (σημεῖον) |
| | | | D'(2:13-14) | | | | | この天使に天の大軍が加わり(2:13) (ἀγγέλῳ) |
| | | C'(2:15) | | | | 羊飼いの出発 (ποιμένες) |
| | B'(2:16-20) | | | 飼い葉桶に寝かせてある乳飲み子(2:16) (φάτνῃ) |
| A'(2:21) | | 幼子はイエスと名付けられた(2:21) (ἐκλήθη τὸ ὄνομα) |
|
A: 名前 B: 飼い葉桶に寝かせられた赤子 C: 羊飼いたち D: 主の天使 E: 知らせること F: 救い主の誕生 |
|
[9]神殿で献げられる (Luke 2:22-40) |
| A(2:22-24) | | 主の律法に言われているとおりに(2:24) (τῷ νόμῳ κυρίου) |
| | B(2:25-27) | | | シメオンが導かれる (ἦλθεν) |
| | | C(2:28-32) | | | | シメオンの祝福 (εὐλόγησεν) |
| | | | D(2:33) | | | | | 父と母は驚いていた(2:33) |
| | | C'(2:34-35) | | | | シメオンの祝福 (εὐλόγησεν) |
| | B'(2:36-38) | | | アンナが近づいてくる (ἐπιστᾶσα) |
| A'(2:39-40) | | 主の律法で定められたこと(2:39) (τὸν νόμον κυρίου) |
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A: 主の律法 B: はシメオンとアンナとの出会い C: シメオンの祝福 D: 中心は驚く両親 |
|
[10]神殿での少年イエス (Luke 2:41-52) |
| A(2:41-42) | | エルサレムへ旅をした(2:41) (ἐπορεύοντο) |
| | B(2:43) | | | 両親はそれに気づかなかった(2:43) (οὐκ ἔγνωσαν) |
| | | C(2:44-45) | | | | 捜しながらエルサレムに引き返した(2:45) (ἀναζητοῦντες) |
| | | | D(2:46-47) | | | | | 三日の後、イエスが神殿の境内で(2:46) |
| | | C'(2:48-49) | | | | お父さんもわたしも心配して捜していたのです(2:48) (ἐζητοῦμέν) |
| | B'(2:50) | | | 両親にはイエスの言葉の意味が分からなかった(2:50) (οὐ συνῆκαν) |
| A'(2:51-52) | | イエスは一緒に下って行き、ナザレに帰り(2:51) (κατέβη) |
|
A: エルサレムへの旅の往復 B: 両親には分からないこと C: イエスを探す両親 D: 三日目に神殿で発見されるイエス |
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[11]洗礼者ヨハネ、教えを宣べる (Luke 3:1-20) |
(関連ペリコーペ: Matthew@7 Mark@1 Mark@2 John@2) |
| A(3:1-3) | | ヘロデがガリラヤの領主(3:1) (Ἡρῴδου) |
| | B(3:4-6) | | | 荒れ野で叫ぶ者の声がする(3:4) (φωνὴ βοῶντος) |
| | | C(3:7-9) | | | | 良い実を結ばない木はみな、切り倒されて火に投げ込まれる(3:9) (εἰς πῦρ βάλλεται) |
| | | | D1(3:10-11) | | | | | 群衆 |
| | | | D2(3:12-13) | | | | | 徴税人 |
| | | | D3(3:14) | | | | | 兵士 |
| | | C'(3:15-17) | | | | 殻を消えることのない火で焼き払われる(3:17) (κατακαύσει πυρὶ) |
| | B'(3:18) | | | 民衆に福音を告げ知らせた(3:18) (παρακαλῶν εὐηγγελίζετο) |
| A'(3:19-20) | | ヘロデは、それまでの悪事にもう一つの悪事を加えた(3:20) (Ἡρῴδης) |
|
A: ヘロデ B: 告げる声 C: 焼き払われる D: 回心する人々 |
|
|
A: 洗礼と聖霊(堅信を示唆する可能性) B: 天 |
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イエスの系図 |
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[14]誘惑を受ける (Luke 4:1-15) |
(関連ペリコーペ: Matthew@9 Matthew@10 Mark@3 Mark@4) |
| A(4:1) | | イエスは聖霊に満ちて(4:1) (πνεύματος ἁγίου) |
| | B(4:2-3) | | | 四十日間、悪魔から誘惑を受けられた(4:2) (πειραζόμενος) |
| | | C(4:4) | | | | 人はパンだけで生きるものではない(4:4) |
| | | | D(4:5-7) | | | | | 悪魔の誘惑 |
| | | | | E(4:8) | | | | | | あなたの神である主を拝み、ただ主に仕えよ(4:8) |
| | | | D'(4:9-11) | | | | | 悪魔の誘惑 |
| | | C'(4:12) | | | | あなたの神である主を試してはならない(4:12) |
| | B'(4:13) | | | 悪魔はあらゆる誘惑を終えて(4:13) (πειρασμὸν) |
| A'(4:14-15) | | イエスは”霊”の力に満ちて(4:14) (τοῦ πνεύματος) |
|
A: 霊に満ちる B: 悪魔の誘惑 C: 旧約聖書の引用 D: 悪魔の誘惑 E: 中心は主を拝み仕えよ |
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[15]故郷で受け入れられない (Luke 4:16-30) |
(関連ペリコーペ: Matthew@68 Mark@23) |
| A(4:16) | | イエスはお育ちになったナザレに来て(4:16) (ἦλθεν) |
| | B(4:17-19) | | | イザヤの預言 (προφήτου) |
| | | C(4:20) | | | | 会堂にいるすべての人の目がイエスに注がれていた。(4:20) (ἀτενίζοντες αὐτῷ) |
| | | | D(4:21) | | | | | この聖書の言葉は、今日、あなたがたが耳にしたとき、実現した(4:21) |
| | | C'(4:22) | | | | 皆はイエスをほめ(4:22) (ἐμαρτύρουν αὐτῷ) |
| | B'(4:23-27) | | | 預言者エリヤとエリシャ (προφήτης) |
| A'(4:28-30) | | イエスは人々の間を通り抜けて立ち去られた(4:30) (διελθὼν) |
|
A: イエスの到来と退出 B: 預言者 C: 人々の注目 D: 聖書の言葉の実現 |
|
[16]汚れた霊に取りつかれた男をいやす (Luke 4:31-44) |
(関連ペリコーペ: Matthew@36 Mark@6 Mark@7) |
| A(4:31-32) | | 人々を教えておられた(4:31) (διδάσκων) |
| | B(4:33-37) | | | 正体は分かっている。神の聖者だ。(4:34) (ὁ ἅγιος τοῦ θεοῦ) |
| | | C'(4:38-39) | | | | イエスが枕もとに立って熱を叱りつけられると、熱は去り(4:39) |
| | B'(4:40-41) | | | お前は神の子だ(4:41) (ὁ υἱὸς τοῦ θεοῦ) |
| A'(4:42-44) | | ユダヤの諸会堂に行って宣教された(4:44) (κηρύσσων) |
|
A: イエスの宣教 B: イエスは何者か C: イエスによる癒し |
|
[17]四人の漁師を弟子にする (Luke 5:1-11) |
(関連ペリコーペ: Matthew@11 Mark@5) |
| A(5:1-3) | | シモンの持ち舟に乗り(5:3) (πλοίων) |
| | B(5:4) | | | イエスの言葉 |
| | | C(5:5) | | | | シモンの言葉 |
| | | | D(5:6) | | | | | おびただしい魚がかかり(5:6) (ἰχθύων πολυ) |
| | | | | E(5:7a) | | | | | | 来て手を貸してくれるように頼んだ(5:7) |
| | | | D'(5:7b) | | | | | 魚でいっぱいにした(5:7) (ἔπλησαν) |
| | | C'(5:8-10a) | | | | シモンの言葉 |
| | B'(5:10b) | | | イエスの言葉 |
| A'(5:11) | | 彼らは舟を陸に引き上げ、すべてを捨ててイエスに従った(5:11) (πλοῖα) |
|
A: 舟 B: イエスの言葉 C: シモンの言葉 D: 魚で満ちる E: 手を貸すようにとの依頼 |
|
[18]らい病を患う人をいやす (Luke 5:12-16) |
(関連ペリコーペ: Matthew@34 Mark@8) |
| A(5:12) | | イエスを見てひれ伏し(5:12) (ἐδεήθη) |
| | B(5:13) | | | 重い皮膚病は去った(5:13) (ἡ λέπρα ἀπῆλθεν) |
| | | C(5:14) | | | | モーセが定めたとおりに清めの献げ物をし、人々に証明しなさい(5:14) |
| | B'(5:15) | | | 病気をいやしていただいた(5:15) (θεραπεύεσθαι) |
| A'(5:16) | | 祈っておられた(5:16) (προσευχόμενος) |
|
A: 願いと祈り B: 病気の癒し C: イエスの命令 |
|
[19]中風の人をいやす (Luke 5:17-26) |
(関連ペリコーペ: Matthew@40 Mark@9) |
| A(5:17) | | この人々は、ガリラヤとユダヤのすべての村、そしてエルサレムから来た(5:17) |
| | B(5:18-19) | | | 中風を患っている人を床に乗せて運んで来て(5:18) (φέροντες ἐπὶ κλίνης) |
| | | C(5:20) | | | | あなたの罪は赦された(5:20) (ἀφεωνταί σοι αἱ ἁμαρτίαι σου) |
| | | | D(5:21) | | | | | ただ神のほかに、いったいだれが、罪を赦すことができるだろうか(5:21) |
| | | C'(5:22-24a) | | | | あなたの罪は赦された(5:23) (ἀφεωνταί σοι αἱ ἁμαρτίαι σου) |
| | B'(5:24b-25) | | | 起き上がり、床を担いで家に帰りなさい(5:24) (ἄρας τὸ κλινίδιόν) |
| A'(5:26) | | 人々は皆大変驚き、神を賛美し始めた(5:26) |
|
A: 人々の行動 B: 床に乗ることと床を担いで帰ることの対比 C: 罪は赦されたという言葉 D: 神の他にだれが罪を赦せるのかという疑問 |
|
[20]レビを弟子にする (Luke 5:27-32) |
(関連ペリコーペ: Matthew@41 Mark@10) |
| A(5:27-28) | | わたしに従いなさい(5:27) (ἀκολούθει μοι) |
| | B(5:29) | | | そこには徴税人やほかの人々が大勢いて(5:29) (πολὺς τελωνῶν) |
| | B'(5:30) | | | 徴税人や罪人などと一緒に飲んだり食べたりするのか(5:30) (τῶν τελωνῶν) |
| A'(5:31-32) | | 罪人を招いて悔い改めさせる(5:32) (καλέσαι) |
|
A: 罪人を招く B: 徴税人たちと共に食事をする |
|
[21]断食についての問答 (Luke 5:33-35) |
(関連ペリコーペ: Matthew@42 Mark@11) |
| A(5:33a) | | ヨハネの弟子たちは度々断食し(5:33) (νηστεύουσιν) |
| | B(5:33b) | | | あなたの弟子たちは飲んだり食べたりしています(5:33) |
| | B'(5:34) | | | 婚礼の客に断食させることができようか(5:34) |
| A'(5:35) | | その時には、彼らは断食する(5:35) (νηστεύσουσιν) |
|
A: 断食する B: 断食しない |
|
|
A: 新しい物と古い物 B: 新しい物を新しい入れ物に入れること |
|
[23]安息日に麦の穂を摘む (Luke 6:1-5) |
(関連ペリコーペ: Matthew@56 Mark@12) |
| A(6:1) | | 麦の穂を摘み、手でもんで食べた(6:1) (ἤσθιον) |
| | B(6:2) | | | なぜ、安息日にしてはならないことを、あなたたちはするのか(6:2) (τοῖς σάββασιν) |
| A'(6:3-4) | | 供えのパンを取って食べ(6:4) (φαγεῖν) |
| | B'(6:5) | | | 人の子は安息日の主である(6:5) (τοῦ σαββάτου) |
|
A: 安息日に食べること B: 安息日における正当性 |
|
[24]手の萎えた人をいやす (Luke 6:6-11) |
(関連ペリコーペ: Matthew@57 Mark@13) |
| A(6:6-7) | | 訴える口実を見つけようとして(6:7) |
| | B(6:8) | | | イエスの手のなえた人への言葉 |
| | | C(6:9) | | | | 安息日に律法で許されているのは、善を行うことか、悪を行うことか(6:9) |
| | B'(6:10) | | | イエスの手のなえた人への言葉 |
| A'(6:11) | | 怒り狂って、イエスを何とかしようと話し合った(6:11) |
|
A: イエスに対する計略 B: イエスの手のなえた人への言葉 C: 安息日に律法で許されていること |
|
|
A: 山に登り降りる B: 弟子と民衆 |
|
[26]幸いと不幸 (Luke 6:20-26) |
(関連ペリコーペ: Matthew@13) |
| A(6:20) | | 貧しい人々 |
| | B(6:21a) | | | 今飢えている人々 |
| | | C(6:21b) | | | | 今泣いている人々 |
| | | | D(6:22-23) | | | | | 人々に憎まれるとき |
| A'(6:24) | | 富んでいるあなたがた |
| | B'(6:25a) | | | 今満腹している人々 |
| | | C'(6:25b) | | | | 今笑っている人々 |
| | | | D'(6:26) | | | | | すべての人にほめられるとき |
|
A: 貧富 B: 空腹と満腹 C: 泣くと笑う D: 嫌悪と称賛 |
|
[27]敵を愛しなさい (Luke 6:27-36) |
(関連ペリコーペ: Matthew@19 Matthew@20) |
| A(6:27-31) | | 人にしてもらいたいと思うことを、人にもしなさい(6:31) (ποιεῖτε αὐτοῖς) |
| | B1(6:32) | | | 自分を愛してくれる(6:32) (ἀγαπᾶτε) |
| | B2(6:33) | | | 自分によくしてくれる(6:33) (ἀγαθοποιῆτε) |
| | B3(6:34) | | | 返してもらう(6:34) (δανίσητε) |
| A'(6:35-36) | | 人に善いことをし、何も当てにしないで貸しなさい(6:35) (ἀγαθοποιεῖτε) |
|
A: 人のためにする B: 人が自分にしてくれる |
|
[28]人を裁くな (Luke 6:37-38) |
(関連ペリコーペ: Matthew@28) |
| A1(6:37a) | | 裁くな (κρίνετε) |
| | B1(6:37b) | | | 裁かれない (κριθῆτε) |
| A2(6:37c) | | 罪人とするな (καταδικάζετε) |
| | B2(6:37d) | | | 罪人とされない (καταδικασθῆτε) |
| A3(6:37e) | | 赦せ (ἀπολύτε) |
| | B3(6:37f) | | | 赦される (ἀπολυθήσεσθε) |
| A4(6:38a) | | 与えよ (δίδοτε) |
| | B4(6:38b) | | | 与えられる (δοθήσεται) |
|
A: 命令形能動態 B: 受動態 |
|
|
A: 同じ二人と優劣のある二人の対比 B: 失敗と成長の対比 |
|
|
A: 兄弟の目のおが屑と自分の目の丸太 B: 兄弟のおが屑の指摘 |
|
|
A: 良い物と悪い物 B: 出てくる物 |
|
[32]家と土台 (Luke 6:46-49) |
(関連ペリコーペ: Matthew@33) |
P(6:46-47) | なぜわたしの言うことを行わないのか(6:46) |
| A(6:48a) | | 土台を置いて家を建てた(6:48) (θεμέλιον) |
| | B(6:48b) | | | 揺り動かすことができなかった(6:48) (οὐκ ἴσχυσεν σαλεῦσαι) |
| A'(6:49a) | | 土台なしで地面に家を建てた(6:49) (θεμελίου) |
| | B'(6:49b) | | | その壊れ方がひどかった(6:49) (συνέπεσεν) |
|
A: 土台のある家とない家の対比 B: 壊れない家と壊れる家の対比 |
|
[33]百人隊長の僕をいやす (Luke 7:1-10) |
(関連ペリコーペ: Matthew@35 John@14) |
| A(7:1-3) | | 部下が、病気で死にかかっていた(7:2) (τινος δοῦλος κακῶς ἔχων) |
| | B(7:4-5) | | | ユダヤ人を愛して、自ら会堂を建ててくれた(7:5) (τὸ ἔθνος ἡμῶν) |
| | | C(7:6-7) | | | | ひと言おっしゃってください。(7:7) (εἰπὲ λόγω) |
| | | C'(7:8) | | | | 一人に『行け』と言えば行きます(7:8) (λέγω) |
| | B'(7:9) | | | イスラエルの中でさえ、わたしはこれほどの信仰を見たことがない(7:9) (Ἰσραὴλ) |
| A'(7:10) | | その部下は元気になっていた(7:10) (τὸν δοῦλον ὑγιαίνοντα) |
|
A: 部下の容体 B: イスラエルと信仰 C: 言葉で命じること |
|
[34]やもめの息子を生き返らせる (Luke 7:11-17) |
| A(7:11) | | 弟子たちや大勢の群衆も一緒であった(7:11) (ὄχλος πολύς) |
| | B(7:12) | | | ある母親の一人息子が死んで(7:12) (τεθνηκὼς) |
| | | C(7:13) | | | | もう泣かなくともよい(7:13) (εἶπεν) |
| | | | D(7:14a) | | | | | 近づいて棺に手を触れられる(7:14) |
| | | C'(7:14b) | | | | 若者よ、あなたに言う。起きなさい(7:14) (εἶπεν) |
| | B'(7:15) | | | 死人は起き上がってものを言い始めた(7:15) (εκρὸς) |
| A'(7:16-17) | | ユダヤの全土と周りの地方一帯に広まった(7:17) (πάσῃ τῇ περιχώρῳ) |
|
A: 多くの人々 B: 死と復活 C: イエスの言葉 D: 手を触れる |
|
[35]イエスはメシアか (Luke 7:18-23) |
(関連ペリコーペ: Matthew@53) |
| A(7:18) | | ヨハネに知らせた(7:18) (ἀπήγγειλαν) |
| | B(7:19) | | | 来るべき方は、あなたでしょうか(7:19) (σὺ εἶ ὁ ἐρχόμενος) |
| | B'(7:20) | | | 来るべき方は、あなたでしょうか(7:20) (σὺ εἶ ὁ ἐρχόμενος) |
| A'(7:21-23) | | ヨハネに伝えなさい(7:22) (ἀπαγγείλατε) |
|
A: ヨハネに知らせる B: イエスは来たるべき者か |
|
|
A: より優れた者 B: 旧約聖書の引用 |
|
[37]今の時代の人たち (Luke 7:29-35) |
(関連ペリコーペ: Matthew@53) |
| A(7:29-30) | | 神の正しさを認めた(7:29) (ἐδικαίωσαν) |
| | B(7:31-32) | | | 笛を吹いたのに、踊ってくれなかった。葬式の歌をうたったのに、泣いてくれなかった(7:32) |
| | B'(7:33-34) | | | 見ろ、大食漢で大酒飲みだ。徴税人や罪人の仲間だ(7:34) |
| A'(7:35) | | 知恵の正しさは、それに従うすべての人によって証明される(7:35) (ἐδικαιώθη) |
|
A: 正しさを認める B: 不満の言葉 |
|
[38]罪深い女を赦す (Luke 7:36-50) |
| A(7:36-38) | | イエスの足に接吻して香油を塗った(7:38) (ἤλειφεν τῷ μύρῳ) |
| | B(7:39) | | | この人がもし預言者なら、自分に触れている女がだれで、どんな人か分かるはずだ。罪深い女なのに(7:39) (ἑαυτῷ λέγων) |
| | | C(7:40-43) | | | | どちらが多くその金貸しを愛するだろうか(7:42) (ἀγαπήσει) |
| A'(7:44-48) | | この人は足に香油を塗ってくれた(7:46) (μύρῳ ἤλειψεν) |
| | B'(7:49) | | | 罪まで赦すこの人は、いったい何者だろう(7:49) (λέγειν ἐν ἑαυτοῖς) |
| | | C'(7:50) | | | | あなたの信仰があなたを救った(7:50) (πίστις) |
|
A: 香油を塗る B: イエスへの疑問 C: 神への愛と信仰 |
|
[39]婦人たち、奉仕する (Luke 8:1-3) |
| A(8:1a) | | 神の国を宣べ伝え、その福音を告げ知らせ(8:1) (κηρύσσων) |
| | B(8:1b) | | | 十二人 |
| | B'(8:2-3a) | | | 女性の弟子 |
| A'(8:3b) | | 自分の持ち物を出し合って、一行に奉仕していた(8:3) (διηκόνουν) |
|
A: 宣教と奉仕 B: 男性と女性の弟子 |
|
[40]種を蒔く人のたとえ (Luke 8:4-8) |
(関連ペリコーペ: Matthew@63 Mark@18) |
| A(8:4) | | たとえを用いてお話しになった(8:4) |
| | B1(8:5) | | | ある種は道端に落ち(8:5) (ἕπεσεν) |
| | B2(8:6) | | | ほかの種は石地に落ち(8:6) (κατέπεσεν) |
| | B3(8:7) | | | ほかの種は茨の中に落ち(8:7) (ἕπεσεν) |
| | B4(8:8a) | | | ほかの種は良い土地に落ち(8:8) (ἕπεσεν) |
| A'(8:8b) | | 聞く耳のある者は聞きなさい(8:8) |
|
A: たとえと解釈 B: 種の落ちた場所 |
|
|
A: たとえ B: 悟ることと理解できないことの対比 |
|
[42]種を蒔く人のたとえの説明 (Luke 8:11-15) |
(関連ペリコーペ: Matthew@64 Mark@18) |
P(8:11) | 種は神の言葉(8:11) |
| A1(8:12) | | 道端のもの(8:12) (οἱ δὲ παρὰ τὴν ὁδόν) |
| A2(8:13) | | 石地のもの(8:13) (οἱ δὲ ἐπι τῆς πέτρας) |
| A3(8:14) | | 茨の中に落ちた(8:14) (τὸ δὲ εἰς τὰς ἀκάνθας) |
| A4(8:15) | | 良い土地に落ちた(8:15) (τὸ δὲ ἐν τῇ καλῇ) |
|
A: 種の落ちた場所 |
|
[43]ともし火のたとえ (Luke 8:16-18) |
(関連ペリコーペ: Mark@19) |
| A(8:16) | | 入って来る人に光が見える(8:16) (βλέπωσιν) |
| | B(8:17a) | | | 隠れているもの (κρυπτὸν) |
| | B'(8:17b) | | | 秘密 (ἀποκρυφον) |
| A'(8:18) | | どう聞くべきかに注意しなさい(8:18) (βλέπετε) |
|
A: 見よ(注意せよ) B: 秘密 |
|
[44]イエスの母、兄弟 (Luke 8:19-21) |
(関連ペリコーペ: Matthew@62 Mark@17) |
P(8:19) | イエスのところに母と兄弟たちが来た(8:19) |
| A(8:20a) | | あなたの母とあなたの兄弟 (ἡ μήτηρ σου καὶ οἱ ἀδελφοί σου) |
| | B(8:20b) | | | 見たいと願う (ἱδεῖν) |
| A'(8:21a) | | 私の母と私の兄弟 (μήτερ μου καὶ ἀδελφοί μου) |
| | B'(8:21b) | | | 聞いて行う (ἀκούοντες) |
|
A: 母と兄弟 B: 見たいと願うことと聞いて行うことの対比 |
|
|
A: イエスの言葉 B: 風と波を鎮める |
|
[46]悪霊に取りつかれたゲラサの人をいやす (Luke 8:26-39) |
(関連ペリコーペ: Matthew@39 Mark@21) |
| A(8:26-30) | | 衣服を身に着けず(8:27) (ἱμάτιον) |
| | B(8:31-32) | | | 底なしの淵へ行けという命令を自分たちに出さないようにと、イエスに願った(8:31) (παρεκάλουν) |
| | | C(8:33-34) | | | | 逃げ出し、町や村にこのことを知らせた(8:34) (ἀπήγγειλαν) |
| A'(8:35-36) | | 服を着、正気になって(8:35) (ἱματισμένον) |
| | B'(8:37) | | | 自分たちのところから出て行ってもらいたいと、イエスに願った(8:37) (ἠρώτησεν) |
| | | C'(8:38-39) | | | | ことごとく町中に言い広めた(8:39) (κηρύσσων) |
|
A: 悪霊につかれた男と正常に戻った男 B: イエスへの願い C: 話を広める |
|
[47]イエスの服に触れる女 (Luke 8:40-48) |
(関連ペリコーペ: Matthew@43 Mark@22) |
| A(8:40-42) | | 彼はイエスの足もとにひれ伏して、自分の家に来てくださるようにと願った(8:41) (παρεκάλει) |
| | B(8:43-44) | | | イエスの服の房に触れると、直ちに出血が止まった(8:44) (ἥψατο) |
| | | C(8:45a) | | | | わたしに触れたのはだれか(8:45) (τίς ὁ ἁψάμενός μου) |
| | | | D(8:45b) | | | | | 群衆があなたを取り巻いて、押し合っているのです(8:45) |
| | | C'(8:46) | | | | だれかがわたしに触れた(8:46) (ἥψατό μού τις) |
| | B'(8:47) | | | 触れた理由とたちまちいやされた次第とを皆の前で話した(8:47) (ἥψατο) |
| A'(8:48) | | 娘よ、あなたの信仰があなたを救った(8:48) (πίστις) |
|
A: 信仰 B: 触れて癒される C: イエスの質問 D: 群衆がイエスを取り巻く |
|
[48]ヤイロの娘 (Luke 8:49-56) |
(関連ペリコーペ: Matthew@43 Mark@22) |
| A(8:49) | | お嬢さんは亡くなりました(8:49) (τέθνηκεν) |
| | B(8:50) | | | イエスの言葉 |
| | | C(8:51-52a) | | | | 人々は皆、娘のために泣き悲しんでいた(8:52) (ἔκλαιον) |
| | | | D(8:52b) | | | | | 死んだのではない。眠っているのだ。(8:52) |
| | | C'(8:53) | | | | イエスをあざ笑った(8:53) (κατεγέλων) |
| | B'(8:54) | | | イエスの言葉 |
| A'(8:55-56) | | すると娘は、その霊が戻って、すぐに起き上がった(8:55) (ἀνέστη) |
|
A: 娘の死と復活 B: イエスの言葉 C: 泣くと笑う D: 死んだのではない |
|
|
A: 十二人の宣教と癒し B: イエスの言葉 |
|
[50]ヘロデ、戸惑う (Luke 9:7-9) |
(関連ペリコーペ: Matthew@69 Mark@25) |
| A(9:7a) | | 領主ヘロデは、これらの出来事をすべて聞いて戸惑った(9:7) (Ἡρῴδης) |
| | B(9:7b) | | | ヨハネが死者の中から生き返ったのだ(9:7) (ἠγέρθη) |
| | | C(9:8a) | | | | エリヤが現れたのだ(9:8) |
| | B'(9:8b) | | | だれか昔の預言者が生き返ったのだ(9:8) (ἀνέστη) |
| A'(9:9) | | ヘロデは言った(9:9) (Ἡρῴδης) |
|
A: ヘロデ B: 復活 C: エリヤ |
|
[51]五千人に食べ物を与える (Luke 9:10-17) |
(関連ペリコーペ: Matthew@70 Mark@26 John@18) |
| A(9:10-11) | | 神の国について語り(9:11) (τῆς βασιλείας τοῦ θεου) |
| | B(9:12) | | | 十二人はそばに来てイエスに言った(9:12) |
| | | C(9:13a) | | | | イエスの言葉 (δότε) |
| | | | D(9:13b-14a) | | | | | パン五つと魚二匹しかありません(9:13) |
| | | C'(9:14b) | | | | イエスの言葉 (κατακλίνατε) |
| | B'(9:15) | | | 弟子たちは、そのようにして皆を座らせた(9:15) |
| A'(9:16-17) | | 天を仰いで(9:16) (τὸν οὐρανὸν) |
|
A: 神の国と天 B: 弟子の言動 C: イエスの命令 D: パン5つと魚2匹 |
|
|
A: イエスの問 B: 弟子の答 |
|
|
死と復活の預言 |
|
|
A: 自分自身 B: ある者 |
|
[55]イエスの姿が変わる (Luke 9:28-36) |
(関連ペリコーペ: Matthew@82 Mark@39) |
| A(9:28) | | ペトロ、ヨハネ、およびヤコブ(9:28) (Πέτρον) |
| | B(9:29) | | | 服は真っ白に輝いた(9:29) (λευκὸς) |
| | | C(9:30-31) | | | | 二人の人がイエスと語り合っていた(9:30) (ἔλεγον) |
| | | | D(9:32) | | | | | イエスと、そばに立っている二人の人(9:32) (δύο) |
| A'(9:33) | | ペトロがイエスに言った(9:33) (Πέτρος) |
| | B'(9:34) | | | 雲が現れて彼らを覆った(9:34) (νεφέλη) |
| | | C'(9:35) | | | | 声が雲の中から聞こえた(9:35) (λέγουσα) |
| | | | D'(9:36) | | | | | イエスだけがおられた(9:36) (μὸνος) |
|
A: ペトロ B: 白に覆われる C: 話す言葉 D: イエスと共にいる人 |
|
[56]悪霊に取りつかれた子をいやす (Luke 9:37-42) |
(関連ペリコーペ: Matthew@84 Mark@40) |
| A(9:37-38) | | どうかわたしの子を見てやってください(9:38) (τὸν υἱόν μου) |
| | B(9:39-40) | | | 悪霊はこの子にけいれんを起こさせて泡を吹かせ(9:39) (πνεῦμα) |
| | | C(9:41) | | | | なんと信仰のない、よこしまな時代なのか(9:41) |
| | B'(9:42a) | | | 悪霊は投げ倒し、引きつけさせた(9:42) (δαιμόνιον) |
| A'(9:42b) | | 子供をいやして父親にお返しになった(9:42) (τὸν παῖδα) |
|
A: 子供の癒し B: 悪霊 C: 不信仰な時代 |
|
|
A: 弟子たちの無理解 B: 受難の予告 |
|
|
A: 弟子の言葉 B: イエスの言葉 |
|
[59]サマリア人から歓迎されない (Luke 9:51-56) |
| A(9:51) | | エルサレムに向かう決意を固められた(9:51) (Ἰερουσαλήμ) |
| | B(9:52a) | | | 先に使いの者を出された(9:52) (ἀγγέλους) |
| | | C(9:52b) | | | | サマリア人の村に入った(9:52) (κώμην) |
| A'(9:53) | | イエスがエルサレムを目指して進んでおられた(9:53) (Ἰερουσαλήμ) |
| | B'(9:54) | | | 弟子のヤコブとヨハネ(9:54) (μαθηταὶ) |
| | | C'(9:55-56) | | | | 一行は別の村に行った(9:56) (κώμην) |
|
A: エルサレムに向かう B: 弟子の言動 C: 村に入る |
|
[60]弟子の覚悟 (Luke 9:57-62) |
(関連ペリコーペ: Matthew@37) |
| A(9:57-58) | | だが、人の子には枕する所もない。(9:58) |
| | B(9:59-60) | | | あなたは行って、神の国を言い広めなさい。(9:60) |
| A'(9:61-62) | | 鋤に手をかけてから後ろを顧みる者は、神の国にふさわしくない(9:62) |
|
A: ふさわしくない者への言葉 B: 神の国の宣教への招き |
|
[61]七十二人を派遣する (Luke 10:1-12) |
| A(10:1-4) | | 収穫は多いが、働き手が少ない(10:2) (ἐρφάται) |
| | B(10:5-6) | | | 『この家に平和があるように』と言いなさい(10:5) (λέγετε) |
| A'(10:7) | | 働く者が報酬を受けるのは当然だからである(10:7) (ἐργάτης) |
| | B'(10:8-12) | | | 『神の国はあなたがたに近づいた』と言いなさい(10:9) (λέγετε) |
|
A: 働く者と収穫 B: するべきことの指示 |
|
|
A: 悔い改めない町 B: 裁きの時 |
|
[63]七十二人帰る (Luke 10:17-20) |
| A(10:17) | | 悪霊さえもわたしたちに屈服します(10:17) (ὑποτάσσεται) |
| | B(10:18) | | | サタンが稲妻のように天から落ちる(10:18) (σατανᾶν) |
| | | C(10:19a) | | | | 敵のあらゆる力に打ち勝つ権威(10:19) |
| | B'(10:19b) | | | あなたがたに害を加えるものは何一つない(10:19) (ἐχθροῦ) |
| A'(10:20) | | 悪霊があなたがたに服従する(10:20) (ὑποτάσσεται) |
|
A: 悪霊が服従する B: 敵の滅び C: 権威 |
|
[64]喜ぶイエス (Luke 10:21-24) |
(関連ペリコーペ: Matthew@55 Matthew@64) |
| A(10:21) | | 幼子のような者にお示しになりました(10:21) (ἀπεκάλυψας) |
| | B(10:22) | | | 知る者はだれもいません(10:22) (οὑδεὶς γινώσκει) |
| A'(10:23) | | 見ているものを見る目(10:23) (βλέποντες) |
| | B'(10:24) | | | 見ることができず(10:24) (οὑκ εἶδαν) |
|
A: 示される者 B: 示されない者 |
|
[65]善いサマリア人 (Luke 10:25-37) |
(関連ペリコーペ: Matthew@110 Mark@57) |
| A(10:25) | | 律法の専門家の質問 (τί) |
| | B(10:26) | | | イエスの質問 (τί) |
| | | C(10:27) | | | | 律法の専門家の答え |
| | | | D(10:28) | | | | | それを実行しなさい(10:28) (ποίει) |
| A'(10:29) | | 律法の専門家の質問 (τίς) |
| | B'(10:30-36) | | | イエスの質問 (τίς) |
| | | C'(10:37a) | | | | 律法の専門家の答え |
| | | | D'(10:37b) | | | | | 行って、あなたも同じようにしなさい。(10:37) (ποίει) |
|
A: 律法の専門家の質問 B: イエスの質問 C: 律法の専門家の答え D: 実行しなさい |
|
[66]マルタとマリア (Luke 10:38-42) |
| A(10:38-39) | | マリアは主の足もとに座って、その話に聞き入っていた(10:39) (Μαριάμ) |
| | B(10:40) | | | せわしく立ち働いていた(10:40) (περιεσπᾶτο) |
| | B'(10:41) | | | 多くのことに思い悩み、心を乱している(10:41) (μεριμνᾷς) |
| A'(10:42) | | マリアは良い方を選んだ(10:42) (Μαριάμ) |
|
A: マリアの行動 B: 思い悩む |
|
[67]主の祈り (Luke 11:1-4) |
(関連ペリコーペ: Matthew@23) |
P(11:1) | イエスはある所で祈っておられた(11:1) |
| A(11:2a) | | 御名が崇められますように(11:2) |
| | B(11:2b) | | | 御国が来ますように(11:2) |
| | | C(11:3) | | | | わたしたちに必要な糧を毎日与えてください(11:3) |
| | B'(11:4a) | | | わたしたちの罪を赦してください(11:4) |
| A'(11:4b) | | わたしたちを誘惑に遭わせないでください(11:4) |
|
A: 神への信仰 B: 救い C: 日々の糧 |
|
[68]祈るときには (Luke 11:5-13) |
(関連ペリコーペ: Matthew@29) |
| A(11:5-8) | | 必要なものは何でも与える(11:8) (δώσει) |
| | B(11:9) | | | 求めなさい(11:9) (αἰτεῖτε) |
| | B'(11:10) | | | 求める者は受け(11:10) (αἰτῶν) |
| A'(11:11-13) | | 天の父は求める者に聖霊を与えてくださる(11:13) (δώσει) |
|
A: 与える B: 求める |
|
[69]ベルゼブル論争・汚れた霊が戻る (Luke 11:14-26) |
(関連ペリコーペ: Matthew@59 Matthew@61 Mark@16 Mark@33) |
| A(11:14) | | 悪霊が出て行く(11:14) (ἐξελθόντος) |
| | B(11:15-16) | | | イエスを試そうとして、天からのしるしを求める者(11:16) (πειράζοντες) |
| | | C(11:17-18) | | | | サタンが内輪もめすれば(11:18) (σατανᾶς) |
| | | | D(11:19) | | | | | ベルゼブルの力で悪霊を追い出す(11:19) (ἐκβάλλω) |
| | | | D'(11:20) | | | | | 神の指で悪霊を追い出し(11:20) (ἐκβάλλω) |
| | | C'(11:21-22) | | | | もっと強い者が襲って来てこの人に勝つ(11:22) (ἰσχυρότερος) |
| | B'(11:23) | | | わたしに味方しない者(11:23) (κατ ἐμοῦ) |
| A'(11:24-26) | | 汚れた霊は、人から出て行くと(11:24) (ἐξέλθῃ) |
|
A: 悪霊が出て行く B: 敵 C: 強い者 D: 悪霊を追い出す力 |
|
[70]真の幸い (Luke 11:27-28) |
| A(11:27) | | なんと幸いなことでしょう、あなたを宿した胎、あなたが吸った乳房(11:27) (μακαρία) |
| A'(11:28) | | 幸いなのは神の言葉を聞き、それを守る人(11:28) (μακάριοι) |
|
A: 幸い |
|
[71]人々はしるしを欲しがる (Luke 11:29-32) |
(関連ペリコーペ: Matthew@61 Mark@33) |
P(11:29-30) | ヨナのしるしのほかには、しるしは与えられない(11:29) |
| A(11:31a) | | 裁きの時、今の時代の者たちと一緒に立ち上がり(11:31) (ἐν τῇ κρίσει) |
| | B(11:31b) | | | ソロモンにまさるもの(11:31) (πλεῖον) |
| A'(11:32a) | | 裁きの時、今の時代の者たちと一緒に立ち上がり(11:32) (ἐν τῇ κρίσει) |
| | B'(11:32b) | | | ヨナにまさるもの(11:32) (πλεῖον) |
|
A: 裁きの時 B: まさるもの |
|
|
A: 光 B: 全身が明るい |
|
|
A: 驚きと敵意 B: ファリサイ派と律法学者への非難 C: 侮辱 |
|
|
A: 隠れた物が明らかになる |
|
|
A: 赦されない者 B: 恐れるな |
|
[76]兄弟の遺産・愚かな金持ちのたとえ (Luke 12:13-21) |
| A(12:13) | | わたしにも遺産を分けてくれるように兄弟に言ってください(12:13) (κληρονομίαν) |
| | B(12:14) | | | だれがわたしを、あなたがたの裁判官や調停人に任命したのか(12:14) |
| | | C(12:15) | | | | 人の命は財産によってどうすることもできない(12:15) (περισσεύειν) |
| A'(12:16-19) | | 倉を壊して、もっと大きいのを建て、そこに穀物や財産をみなしまい(12:18) (ἀποθήκας) |
| | B'12:20) | | | 愚かな者よ、今夜、お前の命は取り上げられる(12:20) |
| | | C'(12:21) | | | | 自分のために富を積んでも(12:21) (θησαυρίζων) |
|
A: 欲望 B: 裁き C: 富の無効 |
|
[77]思い悩むな (Luke 12:22-32) |
(関連ペリコーペ: Matthew@27) |
| A(12:22-23) | | 命のことで何を食べようか、体のことで何を着ようかと思い悩むな(12:22) (μὴ μεριμνᾶτε) |
| | B(12:24) | | | 神は烏を養ってくださる(12:24) (κόρακας) |
| | | C(12:25-26) | | | | 寿命をわずかでも延ばすことができようか(12:25) |
| | B'(12:27-28) | | | 草でさえ、神はこのように装ってくださる(12:28) (ξόρτον) |
| A'(12:29-32) | | 何を食べようか、何を飲もうかと考えてはならない。また、思い悩むな。(12:29) (μὴ ζητεῖτε) |
|
A:思い悩む B:神が養うもの C:寿命を決めることはできない |
|
|
A:富のある場所 |
|
[79]目を覚ましている僕 (Luke 12:35-40) |
(関連ペリコーペ: Matthew@118 Mark@64) |
| A(12:35-36) | | 腰に帯を締め、ともし火をともしていなさい(12:35) (παριεζωσμέναι) |
| | B(12:37a) | | | 目を覚ましているのを見られる僕たちは幸いだ(12:37) (μακάριοι) |
| | | C(12:37b) | | | | 主人は帯を締めて、この僕たちを食事の席に着かせ、そばに来て給仕してくれる(12:37) |
| | B'(12:38) | | | 目を覚ましているのを見られる僕たちは幸いだ(12:38) (μακάριοί) |
| A'(12:39-40) | | あなたがたも用意していなさい(12:40) (ἕτοιμοι) |
|
A: 準備をする B:幸いな僕 C: 僕の報い |
|
[80]忠実で賢い管理人 (Luke 12:41-48) |
(関連ペリコーペ: Matthew@119) |
| A(12:41) | | このたとえはわたしたちのために話しておられるのですか(12:41) |
| | B(12:42-44) | | | 良い僕 (δοῦλος) |
| | B'(12:45-46) | | | 悪い僕 (δούλου) |
| A'(12:47-48) | | すべて多く与えられた者は、多く求められ(12:48) |
|
A:与えられる者 B:良い僕と悪い僕 |
|
[81]分裂をもたらす (Luke 12:49-53) |
(関連ペリコーペ: Matthew@51) |
| A(12:49) | | わたしが来たのは、地上に火を投ずるためである(12:49) (γῆν) |
| | B(12:50) | | | それが終わるまで、わたしはどんなに苦しむことだろう(12:50) (συνέχομαι) |
| A'(12:51) | | わたしが地上に平和をもたらすために来たと思うのか(12:51) (γῇ) |
| | B'(12:52-53) | | | 対立して分かれる(12:52) (διαμερισμένοι) |
|
A:地上に来た理由 B:苦難 |
|
|
A:天気の予想 |
|
[83]訴える人 (Luke 12:57-59) |
| A(12:57) | | どうして自分で判断(krinete)しないのか(12:57) (κρίνετε) |
| | B(12:58a) | | | その人と仲直りするように努めなさい(12:58) (δὸς) |
| A'(12:58b) | | その人はあなたを裁判官(kriths)のもとに連れて行き(12:58) (κριτής) |
| | B'(12:59) | | | 最後の一レプトンを返す(12:59) (ἀποδῷς) |
|
A:裁き B:和解 |
|
[84]悔い改めなければ滅びる (Luke 13:1-5) |
P(13:1) | ピラトがガリラヤ人の血を彼らのいけにえに混ぜた(13:1) |
| A(13:2) | | ほかのどのガリラヤ人よりも罪深い者だったからだと思うのか(13:2) (δοκεῖτε) |
| | B(13:3) | | | 悔い改めなければ、皆同じように滅びる(13:3) (μὴ μετανοῆτε) |
| A'(13:4) | | ほかのどの人々よりも、罪深い者だったと思うのか(13:4) (δοκεῖτε) |
| | B'(13:5) | | | 悔い改めなければ、皆同じように滅びる(13:5) (μὴ μετανοῆτε) |
|
A:他の者より罪深いか B:悔い改めなければ同じように滅びる |
|
[85]いちじくの木 (Luke 13:6-9) |
P(13:6) | 実を探しに来たが見つからなかった(13:6) |
| A(13:7a) | | 見つけたためしがない(13:7) (ζητῶν καρπὸν) |
| | B(13:7b) | | | だから切り倒せ(13:7) (ἔκκοψον) |
| A'(13:8-9a) | | 来年は実がなるかもしれません(13:9) (ποιήσῃ καρπὸν) |
| | B'(13:9b) | | | それでもだめなら、切り倒してください(13:9) (ἐκκόψεις) |
|
A:実がなるか B:切り倒す |
|
[86]安息日に腰の曲がった婦人をいやす (Luke 13:10-17) |
| A(13:10-11) | | 安息日に、イエスはある会堂で教えておられた(13:10) (σάββασιν) |
| | B(13:12) | | | 婦人よ、病気は治った(13:12) (ἀπολέλυσαι) |
| | | C(13:13) | | | | 神を賛美した(13:13) (ἐδόξαζεν) |
| A'(13:14) | | イエスが安息日に病人をいやされた(13:14) (σαββάτῳ) |
| | B'(13:15-16) | | | 安息日であっても、その束縛から解いてやるべき(13:16) (λυθῆναι) |
| | | C'(13:17) | | | | すばらしい行いを見て喜んだ(13:17) (ἐνδόξοις) |
|
A:安息日 B: 解放 C: 賛美 |
|
|
A:神の国のたとえ B:種 |
|
[88]狭い戸口 (Luke 13:22-30) |
(関連ペリコーペ: Matthew@30 Matthew@32) |
| A(13:22-23) | | 救われる者は少ないのでしょうか(13:23) |
| | B(13:24) | | | 入ろうとしても入れない人が多い(13:24) (εἰσελθεῖν) |
| | | C(13:25) | | | | お前たちがどこの者か知らない(13:25) (οὐκ οἷδα) |
| | | | D(13:26) | | | | | 御一緒に食べたり飲んだりしました(13:26) |
| | | C'(13:27) | | | | お前たちがどこの者か知らない(13:27) (οὐκ οἷδα) |
| | B'(13:28) | | | 自分は外に投げ出される(13:28) (ἐκβαλλομένους) |
| A'(13:29-30) | | 東から西から、また南から北から来て、神の国で宴会の席に着く(13:29) |
|
A:救われる者 B:入れない者 C: お前たちは知らない D:一緒に食べた |
|
[89]エルサレムのために嘆く (Luke 13:31-35) |
(関連ペリコーペ: Matthew@112) |
| A(13:31-32) | | 今日も明日も、悪霊を追い出し、病気をいやし、三日目にすべてを終える(13:32) |
| | B(13:33) | | | 預言者がエルサレム以外の所で死ぬことは、ありえない(13:33) (προφήτην) |
| | B'(13:34) | | | 預言者たちを殺し、自分に遣わされた人々を石で打ち殺す(13:34) (προφήτας) |
| A'(13:35) | | 主の名によって来られる方(13:35) |
|
A:主の名によって来られる方 B:預言者 |
|
[90]安息日に水腫の人をいやす (Luke 14:1-6) |
| A(14:1-2) | | 水腫を患っている人がいた(14:2) (ὑδρωπικὸς) |
| | B(14:3) | | | イエスの質問 |
| | | C(14:4a) | | | | 彼らは黙っていた(14:4) (ἡσύχασαν) |
| A'(14:4b) | | 病気をいやしてお帰しになった(14:4) (ἰάσατο) |
| | B'(14:5) | | | イエスの質問 |
| | | C'(14:6) | | | | 答えることができなかった(14:6) (οὐκ ἰσχυσαν ἀνταποκριθῆναι) |
|
A:病と癒し B:イエスの質問 C:答えられない人々 |
|
[91]客と招待する者への教訓・大宴会のたとえ (Luke 14:7-24) |
(関連ペリコーペ: Matthew@107) |
| A(14:7-11) | | 招待を受けた客 (κεκλημένους) |
| | B(14:12-14) | | | 貧しい人、体の不自由な人、足の不自由な人、目の見えない人を招きなさい(14:13) (πτωχούς) |
| | | C(14:15) | | | | 神の国で食事をする人は、なんと幸いなことでしょう(14:15) (φάγεται) |
| A'(14:16-20) | | 招待を受けた客 (ἐκάλεσεν) |
| | B'(14:21) | | | 貧しい人、体の不自由な人、目の見えない人、足の不自由な人をここに連れて来なさい(14:21) (πτωχοὺς) |
| | | C'(14:22-24) | | | | あの招かれた人たちの中で、わたしの食事を味わう者は一人もいない(14:24) (γεύσεταί) |
|
A:招待を受けた客 B:貧しい人 C:神の国の食事 |
|
[92]弟子の条件・塩気のなくなった塩 (Luke 14:25-35) |
(関連ペリコーペ: Matthew@14 Matthew@51 Mark@42) |
| A(14:25-27) | | 自分の命であろうとも、これを憎まないなら、わたしの弟子ではありえない(14:26) (μισεῖ) |
| | B(14:28-30) | | | まず腰をすえて計算しない者がいるだろうか(14:28) (καθίσας) |
| | B'(14:31-32) | | | まず腰をすえて考えてみないだろうか(14:31) (καθίσας) |
| A'(14:33-35) | | 自分の持ち物を一切捨てないならば、あなたがたのだれ一人としてわたしの弟子ではありえない(14:33) (ἀποτάσσεται) |
|
A:自分の物を捨てる B:腰を据える |
|
|
A: 失ったもののたとえ話 |
|
[94]放蕩息子のたとえ (Luke 15:11-32) |
| A(15:11-12) | | 父親は財産を二人に分けてやった(15:12) (διεῖλεν αὐτοῖς τὸν βίον) |
| | B(15:13) | | | 放蕩の限りを尽くして、財産を無駄使いしてしまった(15:13) (ἀσώτως) |
| | | C(15:14-16) | | | | 食べ物をくれる人はだれもいなかった(15:16) (χοῖροι) |
| | | | D(15:17-19) | | | | | お父さん、わたしは天に対しても、またお父さんに対しても罪を犯しました(15:18) (ἥμαρτον) |
| | | | | E(15:20) | | | | | | 父親は息子を見つけて、憐れに思い、走り寄って首を抱き、接吻した(15:20) |
| | | | D'(15:21) | | | | | お父さん、わたしは天に対しても、またお父さんに対しても罪を犯しました(15:21) (ἥμαρτον) |
| | | C'(15:22-24) | | | | 肥えた子牛を連れて来て屠りなさい。食べて祝おう(15:23) (μόσχον) |
| | B'(15:25-30) | | | 娼婦どもと一緒にあなたの身上を食いつぶして帰って来る(15:30) (καταφαγών) |
| A'(15:31-32) | | わたしのものは全部お前のものだ(15:31) (πάντα τα τὰ ἐμὰ σάἐστιν) |
|
A:財産を与える B:放蕩 C:食べ物を与えない・与える D:罪の告白 E:父親の愛 |
|
Luke 15:11-32 |
| A(15:11-12) | | 弟の依頼 |
| | B(15:13-16) | | | 弟の罪 |
| | | C(15:17-21) | | | | 弟の父への言葉 |
| | | | D(15:22-24) | | | | | 父の言葉 |
| A'(15:25-26) | | 兄の質問 |
| | B'(15:27-28) | | | 兄の怒り |
| | | C'(15:29-30) | | | | 兄の父への言葉 |
| | | | D'(15:31-32) | | | | | 父の言葉 |
|
A:依頼/質問 B:罪 C:父への言葉 D:父の言葉 |
|
[95]不正な管理人のたとえ (Luke 16:1-13) |
(関連ペリコーペ: Matthew@27) |
| A(16:1) | | ある金持ちに一人の管理人がいた(16:1) (οἰκονόμον) |
| | B(16:2) | | | もう管理を任せておくわけにはいかない(16:2) (οἰκονομεῖν) |
| | | C(16:3-4) | | | | 自分を家に迎えてくれるような者たちを作ればいいのだ(16:4) (δέξωνταί) |
| | | | D(16:5-7) | | | | | 管理人の策略 |
| | | | | E(16:8) | | | | | | この世の子らは、自分の仲間に対して、光の子らよりも賢くふるまっている(16:8) |
| | | | D'(16:9a) | | | | | 不正にまみれた富で友達を作りなさい(16:9) |
| | | C'(16:9b) | | | | 金がなくなったとき、あなたがたは永遠の住まいに迎え入れてもらえる(16:9) (δέξωνται) |
| | B'(16:10-12) | | | だれがあなたがたに本当に価値あるものを任せるだろうか(16:11) (πιστεύσει) |
| A'(16:13) | | どんな召し使いも二人の主人に仕えることはできない(16:13) (οἰκέτης) |
|
A:仕える B:管理を任せられない C:家に迎え入れる D:不正にまみれた富で友達を作る E:この世の子らの賢さ |
|
[96]律法と神の国 (Luke 16:14-18) |
(関連ペリコーペ: Matthew@17 Mark@43) |
| A(16:14-15) | | あなたたちは人に自分の正しさを見せびらかすが、神はあなたたちの心をご存じである(16:15) (δικαιοῦντες) |
| | B(16:16a) | | | 律法と預言者(16:16) (νόμος) |
| | | C(16:16b) | | | | 神の国の福音が告げ知らされ(16:16) |
| | B'(16:17) | | | 律法の文字の一画(16:17) (νόμου) |
| A'(16:18) | | 妻を離縁して他の女を妻にする者はだれでも、姦通の罪を犯すことになる(16:18) (μοιχεύει) |
|
A:正しさと罪 B:律法 C: 神の国の福音 |
|
[97]金持ちとラザロ (Luke 16:19-31) |
| A(16:19-21) | | 毎日ぜいたくに遊び暮らしていた(16:19) (εὐφραινόμενος) |
| | B(16:22) | | | この貧しい人は死んで連れて行かれた(16:22) (ἀποθανεῖν) |
| | | C(16:23) | | | | はるかかなたに見えた(16:23) (ὁρᾷ) |
| | | | D(16:24) | | | | | ラザロをよこして、指先を水に浸し、わたしの舌を冷やさせてください(16:24) (πέμψον) |
| | | | | E(16:25-26) | | | | | | ここで彼は慰められ、お前はもだえ苦しむのだ(16:25) |
| | | | D'(16:27-28) | | | | | わたしの父親の家にラザロを遣わしてください(16:27) (πέμψῃς) |
| | | C'(16:29) | | | | 彼らに耳を傾けるがよい(16:29) (ἀκουσάτωσαν) |
| | B'(16:30) | | | 死んだ者の中からだれかが兄弟のところに行ってやれば(16:30) (νεκρῶν) |
| A'(16:31) | | その言うことを聞き入れはしないだろう(16:31) (οὐκ ἀκούουσιν) |
|
A:神に従わない B:死者が行く C: 見える・聞く D:ラザロを遣わす願い E:ラザロは慰められ金持ちは苦しむ |
|
|
A:イエスの教え B:弟子の願い |
|
[99]らい病を患っている十人の人をいやす (Luke 17:11-19) |
| A(17:11-13) | | どうか、わたしたちを憐れんでください(17:13) (ἐλέησον ἡμᾶς) |
| | B(17:14) | | | 彼らは、そこへ行く途中で清くされた(17:14) (ἐκαθαρίσθησαν) |
| | | C(17:15-16) | | | | この人はサマリア人だった(17:16) |
| | B'(17:17-18) | | | 清くされたのは十人ではなかったか(17:17) (ἐκαθαρίσθησαν) |
| A'(17:19) | | あなたの信仰があなたを救った。(17:19) (πίστις) |
|
A:信仰 B:清くする C:サマリア人 |
|
[100]神の国はいつ来るのか (Luke 17:20-37) |
(関連ペリコーペ: Matthew@115 Matthew@118) |
| A(17:20-21) | | 神の国はいつ来るのか(17:20) (πότε) |
| | B(17:22-25) | | | 人の子も現れる(17:24) (ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου) |
| | | C(17:26-27) | | | | ノアの時代にあったようなことが、人の子が現れるときにも起こる(17:26) (ἡμέραις) |
| | | C'(17:28-29) | | | | ロトの時代にも同じようなことが起こった(17:28) (ἡμέραις) |
| | B'(17:30-36) | | | 人の子が現れる日(17:30) (ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου) |
| A'(17:37) | | 主よ、それはどこで起こるのですか(17:37) (ποῦ) |
|
A:いつ来るか、どこで起こるかという疑問 B:人の子の日 C:ノアの時代とロトの時代 |
|
[101]やもめと裁判官のたとえ (Luke 18:1-8) |
P(18:1) | 気を落とさずに絶えず祈らなければならない(18:1) |
| A(18:2) | | 神を畏れず人を人とも思わない裁判官(18:2) (κριτής) |
| | B(18:3) | | | 相手を裁いて、わたしを守ってください(18:3) (ἐκδίκησό) |
| | | C(18:4-5) | | | | 彼女のために裁判をしてやろう(18:5) (ἐκδικήσω) |
| A'(18:6) | | 不正な裁判官(18:6) (κριτὴς) |
| | B'(18:7) | | | 叫び求めている人(18:7) (ἐκδίκησιν) |
| | | C'(18:8) | | | | 神は速やかに裁いてくださる(18:8) (ἐκδίκησιν) |
|
A:裁判官 B:裁きを願う C:裁きが行われる |
|
[102]ファリサイ派と徴税人のたとえ (Luke 18:9-14) |
| A(18:9) | | 自分は正しい人間だとうぬぼれて(18:9) (εἰσὶν δίκαιοι) |
| | B(18:10) | | | 一人はファリサイ派の人で、もう一人は徴税人(18:10) |
| | | C(18:11-12) | | | | ファリサイ派の祈り (προσηύχετο) |
| | | C'(18:13) | | | | 徴税人の祈り (λέγων) |
| | B'(18:14a) | | | 義とされて家に帰ったのは、この人であって、あのファリサイ派の人ではない(18:14) |
| A'(18:14b) | | 高ぶる者は低くされ(18:14) (ὁ ὑψῶν ἑαυτὸν) |
|
A:高ぶる者 B:二人の人 C:祈り |
|
[103]子供を祝福する (Luke 18:15-17) |
(関連ペリコーペ: Matthew@93 Mark@44) |
| A(18:15a) | | 乳飲み子までも連れて来た(18:15) (προσέφερον) |
| | B(18:15b) | | | これを見て叱った(18:15) (ἐπετίμων) |
| | | C(18:16a) | | | | 乳飲み子たちを呼び寄せ(18:16) (προσεκαλέσατο) |
| A'(18:16b) | | 来させなさい(18:16) (ἔρχεσθαι) |
| | B'(18:16c) | | | 妨げてはならない(18:16) (μὴ κωλύετε) |
| | | C'(18:17) | | | | 子供のように神の国を受け入れる人でなければ、決してそこに入ることはできない(18:17) (εἰσέλθῃ) |
|
A:連れてくる B:妨げる C:呼ばれる・入る |
|
[104]金持ちの議員 (Luke 18:18-30) |
(関連ペリコーペ: Matthew@94 Matthew@95 Mark@45) |
| A(18:18) | | 永遠の命を受け継ぐ(18:18) (ζωὴν αἰώνιον) |
| | B(18:19-21) | | | 神おひとりのほかに、善い者はだれもいない。(18:19) (ὁ θεός) |
| | | C(18:22-23) | | | | 天に富を積む(18:22) (οὐρανοῖς) |
| | | C'(18:24-25) | | | | 財産のある者が神の国に入るのは、なんと難しいことか(18:24) (τὴν βασιλείαν τοῦ θεου) |
| | B'(18:26-27) | | | 人間にはできないことも、神にはできる(18:27) (τῷ θεῷ) |
| A'(18:28-30) | | 永遠の命を受ける(18:30) (ζωὴν αἰώνιον) |
|
A:永遠の命 B:神の偉大さ C:神の国に入る |
|
|
A:12人 B:復活の預言 |
|
[106]エリコの近くで盲人をいやす (Luke 18:35-43) |
(関連ペリコーペ: Matthew@100 Mark@48) |
| A(18:35) | | イエスがエリコに近づかれた(18:35) (ἐγγίζειν) |
| | B(18:36-37) | | | これは、いったい何事ですか(18:36) (τί) |
| | | C(18:38-39) | | | | ダビデの子イエスよ、わたしを憐れんでください(18:38) (ἐβόησεν) |
| A'(18:40) | | 彼が近づくと(18:40) (ἐγγισαντος) |
| | B'(18:41) | | | 何をしてほしいのか(18:41) (τί) |
| | | C'(18:42-43) | | | | 神をほめたたえながら、イエスに従った(18:43) (δοξάζων) |
|
A:近くに来る B:質問と答え C:憐れみを求める/神の賛美 |
|
[107]徴税人ザアカイ (Luke 19:1-10) |
| A(19:1-2) | | この人は徴税人の頭で、金持ちであった(19:2) (ἀρχιτελώνης) |
| | B(19:3-4) | | | イエスを見るために、走って先回りし、いちじく桑の木に登った(19:4) |
| | | C(19:5) | | | | 今日は、ぜひあなたの家に泊まりたい(19:5) (σήμερον) |
| A'(19:6-7) | | 罪深い男(19:7) (ἁμαρτωλῷ) |
| | B'(19:8) | | | 主よ、わたしは財産の半分を貧しい人々に施します(19:8) |
| | | C'(19:9-10) | | | | 今日、救いがこの家を訪れた(19:9) (σήμερον) |
|
A:罪深い男 B:ザアカイの行動 C:今日家に |
|
[108]ムナのたとえ (Luke 19:11-27) |
(関連ペリコーペ: Matthew@121) |
| A(19:11-14) | | 我々はこの人を王にいただきたくない(19:14) (βασιλεῦσαι) |
| | B(19:15-19) | | | 御主人様、あなたの一ムナで十ムナもうけました(19:16) (δέκα) |
| | | C(19:20-21) | | | | あなたは預けないものも取り立て、蒔かないものも刈り取られる厳しい方(19:21) (αἴρεις ὅ οὐκ ἔθηκας) |
| | | C'(19:22-23) | | | | わたしが預けなかったものも取り立て、蒔かなかったものも刈り取る厳しい人間(19:22) (αἴρων ὅ οὐκ ἔθηκα) |
| | B'(19:24-26) | | | その一ムナをこの男から取り上げて、十ムナ持っている者に与えよ(19:24) (δέκα) |
| A'(19:27) | | わたしが王になるのを望まなかったあの敵ども(19:27) (βασιλεῦσαι) |
|
A:王になることを望まない B:1ムナと10ムナ C:預けない物を取り立て |
|
|
A:エルサレムに近づく、イエスの言葉 B:他の人との対話 C:弟子の賛美 |
|
|
A:神殿の中 B:強盗/殺人 |
|
[111]権威についての問答 (Luke 20:1-8) |
(関連ペリコーペ: Matthew@104 Mark@53) |
| A(20:1-2) | | 何の権威でこのようなことをしているのか。(20:2) (ἐξουσία) |
| | B(20:3-4) | | | ヨハネの洗礼は、天からのものだったか、それとも、人からのものだったか(20:4) (οὐρανοῦ) |
| | B'(20:5-7) | | | 『天からのものだ』と言えば、『では、なぜヨハネを信じなかったのか』と言うだろう(20:5) (οὐρανοῦ) |
| A'(20:8) | | 何の権威でこのようなことをするのか(20:8) (ἐξουσία) |
|
A:権威 B:ヨハネの洗礼は天からの物か |
|
[112]ぶどう園と農夫のたとえ (Luke 20:9-19) |
(関連ペリコーペ: Matthew@106 Mark@54) |
| A(20:9-16a) | | 息子をぶどう園の外にほうり出して、殺してしまった(20:15) (ἀπέκτειναν) |
| | B(20:16b) | | | 律法学者たちや祭司長たちの反応 |
| A'(20:17-18) | | 家を建てる者の捨てた石、これが隅の親石となった(20:17) (ἀπεδοκίμασαν) |
| | B'(20:19) | | | 律法学者たちや祭司長たちの反応 |
|
A:捨てられる B: 律法学者たちや祭司長たちの反応 |
|
[113]皇帝への税金 (Luke 20:20-26) |
(関連ペリコーペ: Matthew@108 Mark@55) |
| A(20:20) | | イエスの言葉じりをとらえ(20:20) (ἐπιλάβωνται) |
| | B(20:21-22) | | | わたしたちが皇帝に税金を納めるのは、律法に適っているでしょうか、適っていないでしょうか(20:22) (Καίσαρι) |
| | | C(20:23) | | | | 彼らのたくらみを見抜いて(20:23) |
| | B'(20:24-25) | | | 皇帝のものは皇帝に、神のものは神に返しなさい(20:25) (Καίσαρος) |
| A'(20:26) | | イエスの言葉じりをとらえることができず(20:26) (ἐπιλαβέσθαι) |
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A:言葉じりをとらえる B:皇帝の税金 C:たくらみを見抜く |
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[114]復活についての問答 (Luke 20:27-40) |
(関連ペリコーペ: Matthew@109 Mark@56) |
| A(20:27) | | 復活があることを否定するサドカイ派(20:27) (Σαδδουκαίων) |
| | B(20:28-33) | | | 復活の時、その女はだれの妻になるのでしょうか(20:33) (ἀναστάσει) |
| | B'(20:34-38) | | | 復活するのにふさわしいとされた人々は、めとることも嫁ぐこともない(20:35) (ἀναστάσεως) |
| A'(20:39-40) | | 律法学者の中には、「先生、立派なお答えです」と言う者もいた(20:39) (γραμματέων) |
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A:サドカイ派と律法学者の相違 B:復活と結婚 |
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A:メシアはダビデの子か B:メシアは主 |
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A:警告と裁き B:偽善 |
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[117]やもめの献金 (Luke 21:1-4) |
(関連ペリコーペ: Mark@60) |
| A(21:1) | | 金持ちたちが賽銭箱に献金を入れる(21:1) (πλουσίους) |
| | B(21:2-3) | | | この貧しいやもめは、だれよりもたくさん入れた(21:3) (πειχρὰν) |
| A'(21:4a) | | あの金持ちたちは皆、有り余る中から献金した(21:4) (περισσεύοντος) |
| | B'(21:4b) | | | この人は、乏しい中から持っている生活費を全部入れた(21:4) (ὑστερήματος) |
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A:金持ちの献金 B:やもめの献金 |
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A:終わりの日 B:いつ来るのか |
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A:争い B:証 |
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[120]エルサレムの滅亡 (Luke 21:20-24) |
(関連ペリコーペ: Matthew@115 Mark@61) |
| A(21:20) | | エルサレムが軍隊に囲まれる(21:20) (Ἱερουσαλήμ) |
| | B(21:21) | | | そのとき、ユダヤにいる人々は山に逃げなさい(21:21) (φευγέτωσαν) |
| | | C(21:22) | | | | 報復の日(21:22) (ἐκδικήσεως) |
| | | | D(21:23a) | | | | | 身重の女と乳飲み子を持つ女は不幸だ(21:23) |
| | | C'(21:23b) | | | | この民には神の怒りが下るからである(21:23) (ὀργὴ) |
| | B'(21:24a) | | | 捕虜となってあらゆる国に連れて行かれる(21:24) (αἰχμαλωτισθήσονται) |
| A'(21:24b) | | エルサレムは異邦人に踏み荒らされる(21:24) (Ἱερουσαλὴμ) |
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A:エルサレムの占領 B:難民と捕虜 C:報復 D:不幸な者 |
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A:天変地異 B:人の子の到来 |
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[122]いちじくの木のたとえ (Luke 21:29-33) |
(関連ペリコーペ: Matthew@117 Mark@63) |
P(21:29-30) | いちじくのたとえ |
| A(21:31) | | これらのことが起こるのを見たら(21:31) (γινόμενα) |
| | B(21:32a) | | | この時代は決して滅びない(21:32) (μὴ παρέλθῃ) |
| A'(21:32b) | | すべてのことが起こるまでは(21:32) (γένηται) |
| | B'(21:33) | | | わたしの言葉は決して滅びない(21:33) (μὴ παλεύσονται) |
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A:これらのことが起こる B:過ぎ去らない |
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[123]目を覚ましていなさい・エルサレムでの宣教 (Luke 21:34-38) |
| A(21:34a) | | 放縦や深酒や生活の煩いで、心が鈍くならないように注意しなさい(21:34) (κραιπάλῃ) |
| | B(21:34b-35) | | | その日が不意に罠のようにあなたがたを襲う(21:34) (ἡμέρα) |
| | | C(21:36) | | | | いつも目を覚まして祈りなさい(21:36) |
| | B'(21:37) | | | 日中は神殿の境内で教え(21:37) (ἡμέρας) |
| A'(21:38) | | 朝早くから集まって来た(21:38) (ὤρθριζεν) |
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A:放縦の生活と節制の生活 B:日 C:目を覚まして祈れ |
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A:裏切りの機会 B:計略と裏切り C:ユダの中にサタンが入る |
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A:過ぎ越しの準備 B:イエスの指示 |
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A:使徒たち B:苦しみを受ける D:感謝の祈り |
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[127]偉いもの (Luke 22:24-30) |
| A(22:24-25) | | 王が民を支配し(22:25) (βασιλεῖς) |
| | B(22:26-27) | | | 食事の席に着く人(22:27) (ἀνακείμενος) |
| A'(22:28-29) | | わたしの父がわたしに支配権をゆだねてくださった(22:29) (βασιλείαν) |
| | B'(22:30) | | | 王座に座ってイスラエルの十二部族を治める(22:30) (καθήσεσθε) |
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A:国を支配する B:席に着く |
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A:弟子の裏切り B:シモンの言葉 |
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[129]財布と袋と剣 (Luke 22:35-38) |
| A(22:35a) | | イエスの言葉 |
| | B(22:35b) | | | 弟子の言葉 |
| | | C(22:36-37) | | | | 書かれていることは、わたしの身に必ず実現する(22:37) |
| | B'(22:38a) | | | 弟子の言葉 |
| A'(22:38b) | | イエスの言葉 |
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A:イエスの言葉 B:弟子の言葉 C:旧約聖書の言葉の実現 |
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[130]オリーブ山で祈る (Luke 22:39-46) |
(関連ペリコーペ: Matthew@129 Mark@72) |
| A(22:39-40) | | 誘惑に陥らないように祈りなさい(22:40) (πειρασμόν) |
| | B(22:41) | | | ひざまずいてこう祈られた(22:41) (προσηύχετο) |
| | | C(22:42) | | | | わたしの願いではなく、御心のままに行ってください(22:42) |
| | B'(22:45) | | | イエスが祈り終わって立ち上がり(22:45) (προσευχῆς) |
| A'(22:46) | | 誘惑に陥らぬよう、起きて祈っていなさい(22:46) (πειρασμόν) |
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A:誘惑に陥らぬように祈れ B:イエスの祈り C:主の御心を願う |
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[131]裏切られる (Luke 22:47-53) |
(関連ペリコーペ: Matthew@130 Mark@73 John@63) |
| A(22:47-48) | | 人の子を裏切るのか(22:48) (παραδίδως) |
| | B(22:49) | | | 主よ、剣で切りつけましょうか(22:49) (μαχαίρῃ) |
| | | C(22:50) | | | | その右の耳を切り落とした(22:50) (οὖς) |
| | | | D(22:51a) | | | | | もうそれでよい(22:51) |
| | | C'(22:51b) | | | | その耳に触れていやされた(22:51) (ὠτίου) |
| | B'(22:52) | | | 剣や棒を持ってやって来たのか(22:52) (μαχαιρῶν) |
| A'(22:53) | | 今はあなたたちの時で、闇が力を振るっている(22:53) (σκότους) |
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A:闇の時 B:剣 C:耳 D:もうよい |
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A:ペトロの登場と退場 B:ペトロの否認 |
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[133]最高法院で裁判を受ける (Luke 22:63-71) |
(関連ペリコーペ: Matthew@131 Mark@74 John@65) |
| A(22:63-65) | | 言い当ててみろ(22:64) (πτοφήτευσον) |
| | B(22:66-68) | | | お前がメシアなら、そうだと言うがよい(22:67) (ὁ χριστός) |
| | | C(22:69) | | | | 人の子は全能の神の右に座る(22:69) |
| | B'(22:70) | | | お前は神の子か(22:70) (ὁ υἱὸς τοῦ θεοῦ) |
| A'(22:71) | | これでもまだ証言が必要だろうか。我々は本人の口から聞いたのだ(22:71) (μαρτυρίας) |
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A:言葉を求める B:メシアと神の子 C:人の子の到来 |
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A:イエスへの告発 B:ピラトの言葉 C:イエスの言葉 |
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[135]ヘロデから尋問される (Luke 23:6-12) |
| A(23:6-7) | | イエスをヘロデのもとに送った(23:7) (ἀνέπεμψεν) |
| | B(23:8-10) | | | イエスは何もお答えにならなかった(23:9) |
| A'(23:11-12) | | ピラトに送り返した(23:11) (ἀνέπεμψεν) |
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A:ヘロデの元に送り、送り返される B:何もお答えにならない |
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[136]死刑を望む民衆 (Luke 23:13-25) |
(関連ペリコーペ: Matthew@136 Mark@77 John@68) |
| A(23:13-16) | | 釈放しよう(23:16) (ἀποκύσω) |
| | B(23:18-19) | | | その男を殺せ(23:18) (αἶρε) |
| | | C(23:20) | | | | ピラトはイエスを釈放しようと思って、改めて呼びかけた(23:20) (ἀπολῦσαι) |
| | | | D(23:21) | | | | | 十字架につけろ、十字架につけろ(23:21) |
| | | C'(23:22) | | | | 鞭で懲らしめて釈放しよう(23:22) (ἀπολύσω) |
| | B'(23:23) | | | イエスを十字架につけるように要求し続けた(23:23) (σταυρωθῆναι) |
| A'(23:24-25) | | バラバを要求どおりに釈放(23:25) (ἀπέλυσεν) |
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A:釈放 B:死刑 C:釈放 D:十字架 |
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[137]引いていかれる (Luke 23:26-32) |
(関連ペリコーペ: Matthew@137 Mark@78) |
| A(23:26-27) | | キレネ人を捕まえて、十字架を背負わせ、イエスの後ろから運ばせた(23:26) (Σίμωνά) |
| | B(23:28-29) | | | 子を産めない女、産んだことのない胎、乳を飲ませたことのない乳房は幸い(23:29) (στεῖραι) |
| | | C(23:30) | | | | ホセアの預言 |
| | B'(23:31) | | | 『生の木』さえこうされるのなら、『枯れた木』はいったいどうなる(23:31) (ζηρῷ) |
| A'(23:32) | | 二人の犯罪人が、イエスと一緒に死刑にされるために、引かれて行った(23:32) (κακοῦργοι δύο) |
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A:イエスと共に行く者 B:枯れたもの C:ホセアの預言 |
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A:自分を救え |
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[139]罪人を招く (Luke 23:39-43) |
(関連ペリコーペ: Matthew@138 Mark@78) |
| A(23:39) | | 自分自身と我々を救ってみろ(23:39) (σῶσον) |
| | B(23:40) | | | お前は神をも恐れないのか(23:40) (τὸν θεόν) |
| | | C(23:41) | | | | この方は何も悪いことをしていない(23:41) |
| | B'(23:42) | | | あなたの御国においでになるときには、わたしを思い出してください(23:42) (βασιλείαν) |
| A'(23:43) | | あなたは今日わたしと一緒に楽園にいる(23:43) (παραδείσῳ) |
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A:救う B:神を畏れる C:イエスの無実 |
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A:イエスの死に立ち会う人々 |
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[141]墓に葬られる (Luke 23:50-56) |
(関連ペリコーペ: Matthew@141 Mark@80 John@73) |
P(23:50-51) | ヨセフという議員がいた(23:50) |
| A(23:52-53) | | 岩に掘った墓の中に納めた(23:53) (μνήματι) |
| | B(23:54) | | | 安息日が始まろうとしていた(23:54) (σάββατον) |
| A'(23:55) | | 墓と、イエスの遺体が納められている有様(23:55) (μνημεῖον) |
| | B'(23:56) | | | 安息日には掟に従って休んだ(23:56) (σάββατον) |
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A:墓に納める B:安息日 |
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[142]復活する (Luke 24:1-12) |
(関連ペリコーペ: Matthew@143 Mark@81 John@74) |
| A(24:1-3) | | 主イエスの遺体が見当たらなかった(24:3) (σῶμα) |
| | B(24:4-7) | | | 復活を告げる二人の人 (εἶπαν) |
| | | C(24:8) | | | | 婦人たちはイエスの言葉を思い出した(24:8) |
| | B'(24:9-11) | | | 復活を告げる婦人たち (ἀπήγγειλαν) |
| A'(24:12) | | 墓へ走り、身をかがめて中をのぞくと、亜麻布しかなかった(24:12) (ὀθόνια μόνα) |
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A:遺体がない B:復活を告げる C:イエスの言葉を思い出す |
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[143]エマオで現れる (Luke 24:13-35) |
| A(24:13-14) | | エルサレムから六十スタディオン離れた(24:13) (Ἱερουσαλήμ) |
| | B(24:15-16) | | | 二人の目は遮られていて、イエスだとは分からなかった(24:16) (ἐπιγνῶναι) |
| | | C(24:17-24) | | | | クレオパの説明 (εἶπαν) |
| | | | D(24:25-26) | | | | | メシアはこういう苦しみを受けて、栄光に入るはずだったのではないか(24:26) |
| | | C'(24:27) | | | | 御自分について書かれていることを説明された(24:27) (διερμήνευσεν) |
| | B'(24:28-31) | | | 二人の目が開け、イエスだと分かった(24:31) (ἐπέγνωσαν) |
| A'(24:32-35) | | 時を移さず出発して、エルサレムに戻って(24:33) (Ἱερουσαλὴμ) |
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A:エルサレムから離れる/戻る B:目がさえぎられる/目が開ける C:説明 D:メシアの苦しみと栄光 |
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[144]弟子たちに現れる (Luke 24:36-49) |
(関連ペリコーペ: Matthew@145 Acts@1) |
| A(24:36) | | あなたがたに平和があるように(24:36) (εἰρήνη) |
| | B(24:37) | | | 弟子の誤解 |
| | | C(24:38-39) | | | | 亡霊には肉も骨もないが、あなたがたに見えるとおり、わたしにはそれがある(24:39) |
| | | | D(24:40) | | | | | イエスの証(手と足) |
| | | | | E(24:41a) | | | | | | 驚く弟子 |
| | | | D'(24:41b-43) | | | | | イエスの証(食事) |
| | | C'(24:44) | | | | わたしについてモーセの律法と預言者の書と詩編に書いてある事柄は、必ずすべて実現する(24:44) |
| | B'(24:45) | | | 彼らの心の目を開いて(24:45) |
| A'(24:46-49) | | 父が約束されたものをあなたがたに送る(24:49) (ἐπαγγελίαν) |
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A:与えられる物 B:理解させる C:イエスに関する教え D:イエスの証 E:驚く弟子 |
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A:ベタニアとエルサレム B:天と神殿 |
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